Thursday 17 March 2016

नवोदय


नवोदय हमारे भीतर है ; अभिन्न और अटूट हिस्से की तरह । जीवन के हर एक पड़ाव पर नवोदय हमारे साथ रहा , अनुभव , संस्कार , आचार - व्यव्हार , शिक्षा ,गौरव , परंपरा सब कुछ तो वहीँ से आया ।

पीछे मुड़ कर देखें तो पता ही नहीं चला की कब हम मासूम बचपन से किशोरवस्था की दहलीज पर पहुंचे, कब जवां हुए , कब से हमने जिम्मेदारियां निभानी शुरू की और कब हम देश के अभिमान का आयाम बन गए ।
हर वक्त हम सब में नव उदय होता रहा; नवोदय होता रहा । जीवन में नवोदय की अहमियत यूँ ही बनी रही।
मॉर्निंग पी टी से ...लेकर नाईट प्रेयर तक , ब्रेकफास्ट से डिनर तक , रेगुलर क्लासेज से प्रेप होते हुए एक्स्ट्रा क्लासेज तक , इवनिंग गेम्स से लेके स्पोर्ट्स मीट्स तक , अन्तर्सदनीय प्रतियोगताओ से लेके राष्ट्रिय प्रतियोगिताओं तक , होस्टल , प्ले ग्राउंड,मैस,लाइब्रेरी, माइग्रेशन, टूर्स सबसे लगातार सीखते रहे । और जो सबसे बेहतरीन बात हमने सीखी वो है अपनापन
नवोदय =भाईचारा=नवोदय
हमारे शब्दकोष में ऐसे अनंत शब्द है जिन में कहीं न कहीं हम सबकी यादें छुपी हैं , कहानियां जज्ब हैं। इन शब्दों से कोई भी नवोदयन एक बेस्ट सैलर बुक लिख सकता है।
आओ जरा नजर डाले इन शब्दों पर और चित्रण करे अपने सुनहरे अतीत का। बेशक इन शब्दों में हम खुद को ढूंढ सकते हैं ।
जीवन के सबसे हसीन पल , खट्टी मीठी यादें , प्यार और तकरार ,नौक - झौंक , प्रतिस्पर्धा , शरारतें , बहानेबाजियां, ताक -झाँक, , खेल- कूद , आशाएं - आकांक्षाएं , हिम्मत और डर , उत्सुकता , दुस्साहस, दोस्ती, जिंदादिली , बेवकूफियां , परेशानियां , पागलपन , सम्मान,समानता, आत्मबल, इज्जत ,ईनाम, परिणाम, बुद्धिमता ,बचपना आदि आदि....इत्यादि.....

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